सामर्थ्य को सेवा में लगा देना चाहिए

कठिनाई या अभाव को हर्षपूर्वक सहन करना तप है। तप से सामर्थ्य मिलता है। इस सामर्थ्य को सेवा में लगा देना चाहिए।

-पूज्य बापूजी : आश्रम सत्साहित्य  - ‘दैवी संपदा’

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