अपनी व्यक्तिगत सेवा अपने आप

हम लोग मन के विलास को जितना पोसते रहते हैं, उतना हम भीतर से खोखले हो जाते है। अपना व्यक्तिगत खर्च बढ़ाने से अहं की पुष्टि होती है। व्यक्तिगत खर्च घटाने से आत्मबल की पुष्टि होती है। अपनी व्यक्तिगत सेवा अपने आप करने से आत्मिक शक्ति का विकास होता है। दूसरों से व्यक्तिगत सेवा लेने से अहंगत सुख की भ्रान्ति होती है |

-पूज्य बापूजी : आश्रम पुस्तक - ‘अनन्य योग’

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