खिदमत भाव से विरोधों को हटाये

सेवक को जो विघ्न बाधा आये और जो तत्त्व विघ्न बाधा डालते है,  तो उन तत्वों की बुराई नहीं लेकिन उन तत्वों का जिस में भला हो, ऐसी कोशिश करे  उनकी वासना और उनका अहंकार घटे ऐसी कोशिश करे  खिदमत भाव से उन तत्वों को , उन विरोधों को हटाये तो वो सेवक....वो सेवक सेव्य पद को पा लेगा


पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

दुश्मन की भी सेवा करो

 सेवा के बदले में दूसरे को दबाने की क्षमता ना चाहो  सेवा करते जाओ | जो तुम्हारा हरीफ़ है उसका हृदय भी जीतो हरीफ़ जिस कारण दुखी है वो कारण हटाते जाओ  तुम्हारा दुश्मन जिन कारणों से दुखी है वे कारण आप हटाते जाओ  दुश्मन की भी सेवा करो फिर देखो वो दुश्मन पर आपकी कैसी विजय होती है  दुश्मन को मार देना ये दुश्मन पर विजय नहीं है  दुश्मन का  गला दबा देना या नीचे गिरा देना ये दुश्मन की विजय नहीं है उसमे  दुश्मनी तो बनी रहेगी  दुश्मन को अगर जीतना है तो दुश्मन जिन कारणों से दुःखी है वे कारण हटाना शुरू करो  ये ऎसी सेवा है महाराज! गजब कर देगी !आपको स्वामी पद पे बिठा देगी। आप विश्वजीत हो जायेंगे

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

सेवा का बदला न चाहो

सेवा का बदला चाहो और सेवा का प्रचार चाहो , सेवा का दिखावा चाहो आपके हृदय की शांति और समझ सूझबूझ बढाती जाएगी | और आदर्श सेवक हनुमान हो गए इसी ढंग से आपने को देखने की इच्छा करो  सेवक और मान चाहे, सेवा के बदले में मान चाहे तो सेवा को बेच रहा है , फेंक रहा है,  शरीर का अहंकार पोसने के लिए सेवा को नष्ट कर रहा है  सेवक और मान की इच्छा? सेवा करोगे लोग मान देंगे लेकिन आपको उस मान से कोई फायदा नहीं होता अपितु अहंकार जगने का अवसर आता है सेवा के बदले में मान चाहो सेवा के बदले में भोग  चाहो

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“


अपनी योग्यता सेवा में लगाओ

आपके पास जितना, थोड़े से थोड़ा भी है उसको ईमानदारी से सेवा के लिए लगाओ, तो आप पाओगे कि ज्यों ज्यों आप अपनी योग्यता सेवा में लगा रहे हैं और बदले में कुछ नहीं चाहते त्यों त्यों आपकी योग्यता जादुई ढंग से बढ़ती जाएगी। देखें बढ़ती है कि नहीं ? ऐसा अधैर्य मत करो।  बढ़े न बढ़े हमें कोई जरूरत नहीं है ।  हमारे पास जो योग्यता है , देनेवाले की है और देनेवाले की  सृष्टि संवारने के लिए है । देनेवाले की सृष्टि की सेवा करने के लिए है।

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

सदुपयोग मतलब सेवा करो

अगर कोई सतगुरु मिल जाये तो वो सज्जन वो भी कह देंगे कि काम को रोकना पर्याप्त नहीं है काम की जगह पर राम को प्रकट करो | क्रोध की  जगह पर क्षमा और सहानभूति को प्रगटाओ, यही तुम्हारे में विशेष क्षमताएँ हैं।  झूठ न बोलो ये तो ठीक है,सत्य बोलो ये भी ठीक है, लेकिन स्नेह भरा बोलो। चोरी न करो ये तो ठीक है लेकिन जहाँ चोरी करने की आदत है वहाँ दान करो ।  उदार बनो .. दो.... आपके पास शारीरिक बल हो, मानसिक बल हो, बौद्धिक बल हो, ...जितना हो .. चाहे मुट्ठी भर हो , जितना भी हो उसे आप ईश्वर की विराट सृष्टि में , ईश्वर के लिए, ईश्वर की प्रसन्नता के लिए उसका सदुपयोग करो।  सदुपयोग मतलब सेवा करो।

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति “