खिदमत भाव से विरोधों को हटाये

सेवक को जो विघ्न बाधा आये और जो तत्त्व विघ्न बाधा डालते है,  तो उन तत्वों की बुराई नहीं लेकिन उन तत्वों का जिस में भला हो, ऐसी कोशिश करे  उनकी वासना और उनका अहंकार घटे ऐसी कोशिश करे  खिदमत भाव से उन तत्वों को , उन विरोधों को हटाये तो वो सेवक....वो सेवक सेव्य पद को पा लेगा


पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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