सदुपयोग मतलब सेवा करो

अगर कोई सतगुरु मिल जाये तो वो सज्जन वो भी कह देंगे कि काम को रोकना पर्याप्त नहीं है काम की जगह पर राम को प्रकट करो | क्रोध की  जगह पर क्षमा और सहानभूति को प्रगटाओ, यही तुम्हारे में विशेष क्षमताएँ हैं।  झूठ न बोलो ये तो ठीक है,सत्य बोलो ये भी ठीक है, लेकिन स्नेह भरा बोलो। चोरी न करो ये तो ठीक है लेकिन जहाँ चोरी करने की आदत है वहाँ दान करो ।  उदार बनो .. दो.... आपके पास शारीरिक बल हो, मानसिक बल हो, बौद्धिक बल हो, ...जितना हो .. चाहे मुट्ठी भर हो , जितना भी हो उसे आप ईश्वर की विराट सृष्टि में , ईश्वर के लिए, ईश्वर की प्रसन्नता के लिए उसका सदुपयोग करो।  सदुपयोग मतलब सेवा करो।

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति “

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