आपके पास जितना, थोड़े से थोड़ा भी है उसको ईमानदारी से सेवा के लिए लगाओ, तो आप पाओगे कि
ज्यों ज्यों आप अपनी योग्यता सेवा में लगा रहे हैं और बदले में कुछ नहीं चाहते
त्यों त्यों आपकी योग्यता जादुई ढंग से बढ़ती जाएगी। देखें बढ़ती है कि नहीं ? ऐसा अधैर्य
मत करो। बढ़े न बढ़े हमें कोई जरूरत नहीं है
। हमारे पास जो योग्यता है , देनेवाले की है और देनेवाले की सृष्टि संवारने के लिए है । देनेवाले की सृष्टि
की सेवा करने के लिए है।
पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“
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