प्रकृति के नियम भी बदलने को राजी

जिसमे निस्वार्थता होती है और ब्रह्मचर्य  संयम होता है उसके आगे प्रकृति के नियम भी बदलने को राजी हो जाते है
पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति “

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