सेवा कर्मयोग
पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी के सत्संग में से संग्रहित
प्रकृति के नियम भी बदलने को राजी
जिसमे
निस्वार्थता
होती
है
और
ब्रह्मचर्य
संयम
होता
है
उसके
आगे
प्रकृति
के
नियम
भी
बदलने
को
राजी
हो
जाते
है
पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति “
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