अपने स्वार्थ को पोषने का अहंकार को पोषने का, या अपनी दूषित वासनाओ को पोषने का, जो भी कोने खाचरे में वासनायें, या बेवकूफियाँ या भाव है उसको उखाड़ के फेंक दे। बड़े बड़े जोगियों को समाधि करने से जो सुख मिलता है वो सुख सतियों को अपने घर में ही मिला। बड़ा बड़ा सामर्थ्य जिन योगियों के जीवन में सुना जाता है उससे भी बढ़ा चढ़ा सामर्थ्य सतियों के जीवन में सुना गया है। सतियों ने क्या किया ? सतियों ने अपनी इच्छा छोड़ दी, पति की इच्छा में अपनी इच्छा मिला दी | पति की इच्छा में, पति के संतोष में , पति की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी को रख दिया। पति की.....बस मेरी इच्छा नहीं... पति की इच्छा । पति की इच्छा में अपनी इच्छा मिलाने से उनकी अपनी इच्छाएं हटती गयीं , अपनी इच्छाएं हटती गयीं और उनकी सेवा चमकती गयी और वे सतियाँ ऐसी ऐसी महान हो गयीं कि सूर्य की गति को थाम लिया।
पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति “
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