सेवा कर्मयोग
पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी के सत्संग में से संग्रहित
आधी अविद्या सदगुरू की सेवा से दूर
आधी अविद्या तो सदगुरू की सेवा से ही दूर हो जाती है। बाकी की आधी अविद्या ध्यान, जप और शास्त्रविचार इन तीन साधनों से दूर करके जीव मुक्त हो जाता है।
-पूज्य बापूजी : आश्रम पुस्तक - ‘अनन्य योग’
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