शिक्षित आदमी की सेवा व्यापक

एक होती है शिक्षा, दूसरी होती है दीक्षा। शिक्षा ऐहिक वस्तुओं का ज्ञान देती है। स्कूल-कॉलेजों में हम लोग जो पाते हैं वह है शिक्षा। शिक्षा की आवश्यकता है शरीर का पालन-पोषण करने के लिए, गृहस्थ व्यवहार चलाने के लिए। यह शिक्षा अगर दीक्षा से रहित होती हैं तो वह विनाशक भी हो सकती है। शिक्षित आदमी समाज को जितना हानि पहुँचाता है उतना अशिक्षित आदमी नहीं पहुँचाता। शिक्षित आदमी जितना धोखा कर सकता है उतना अशिक्षित आदमी नहीं करता। विश्व में शिक्षित आदमी जितना उपद्रव पैदा कर चुके हैं उतना अशिक्षित आदमी ने नहीं किया। साथ ही साथ, शिक्षित आदमी अगर सेवा करना चाहे तो अशिक्षित आदमी की अपेक्षा ज्यादा कर सकता है।

आश्रम पुस्तक - ‘समता साम्राज्य’

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