सेवा का सदगुण

आपके जीवन में सेवा का सदगुण हो । ईश्वर की सृष्टि को सँवारने के भाव से आप पुत्र-पौत्र, पति-पत्नी आदि की सेवा कर लें । “पत्नी मुझे सुख दे” । इस भाव से की तो यह स्वार्थ हो जायेगा और स्वार्थलम्बे समय तक शांति नहीं दे सकता । पति की गति पति जानें, मैं तो सेवा करके अपना फर्ज निभा लूँ… पत्नी की गति पत्नी जाने मैं तो अपना उत्तरदायित्व निभा लूँ । ऐसे विचारों से सेवा कर लें।
 
पत्नी लाली लिपस्टिक लगाये कोई जरुरी नहीं है, डिस्को करे कोई जरुरी नहीं है । जो लोग अपनी पत्नी को कठपुतली बनाकर, डिस्को करवाकर दूसरे के हवाले करते हैं और पत्नियाँ बदलते हैं, वे नारीजाति का घोर अपमान करते हैं । वे नारी को भोग्या बना देते हैं । भारत की नारी भोग्या या कठपुतली नहीं है, वह तो भगवान की सुपुत्री है । नारी तो नारायणी है ।
- आश्रम पुस्तक - 'जीवनोपयोगी कुंजियाँ'

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