सेवा कर निर्बन्ध की

कबीर जी ने समझायाः
बँधे को बँधा मिले छूटे कौन उपाय
सेवा कर निर्बन्ध की पल में दे छुड़ाय ।।
'जो पंडित खुद स्थूल 'मैं' में बँधा है, सूक्ष्म 'मैं' में बँधा है, उसको बोलते हो कि मुझे भगवान के दर्शन करा दो ? स्थूल और सूक्ष्म अहं से जो छूटे हैं, ऐसे निर्बन्ध ब्रह्मवेत्ता की सेवा करके उन्हें रिझा दो तो बेड़ा पार हो जाय। वे तुम्हें उपदेश देकर पल में छुड़ा देंगे।"
-पूज्य बापूजी : आश्रम पुस्तक - ‘अनन्य योग’

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