हमारा कर्त्तव्य हो जाता है सेवा कार्य करना

महाराज निष्कामता में इतनी शक्ति है लेकिन अंधे लोग जानते नहीं। जिसके पास धन है, बुद्धि है, स्वास्थ है, योग्यता है अगर वो सत्कर्म नहीं करता है ईश्वर प्रीत्यर्थ कर्म नहीं करता है तो वो स्वार्थी है। विषय लम्पट्टू है, वो दण्ड का पात्र है, अशांति का पात्र है, विनाश का पात्र है ऐसा शास्त्र कहते है।

ये हमारा कर्तव्य हो जाता है सेवा कार्य करना। अपनी भलाई के लिए हमारा कर्त्तव्य हो जाता है। और जिनको सेवा मिलाती है वे लोग टालते रहते है या छटकबारी करते दूसरे के कंधे बन्दूक  रखते है उनकी खोपड़ी में ही बन्दूक  जैसी अशांति हो जाती है। अपना कार्य तो तत्परता से हम करें लेकिन दूसरे के कार्य में भी हाथ बटायें।

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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