बुद्धि से तत्त्वनिष्ठ हो। मुक्त अवस्था को इस जन्म में ही पाओ। आत्मबल जगाओ। सेवा को सुन्दर बनाने का संकल्प बढ़ाओ। सच्चा सेवक दुःख मिटाने की चिंता नहीं करता,वो तो सुख बाँटने में लग जाता है तो दुःख अपने आप भाग जाता है लोगोंका। सुख बाँटने की कोशिश करने वाला सेवक सुखी होता जाता है। दुःख मिटाना ही सेवा नहीं सुख बाँटना सच्ची सेवा है। जब सुख बाँटे तो दुःख रहेगा कहाँ? और सुख बाँटोगे तो सुख खुटेगा क्यों?
पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“
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