जो बेईमानी से सेवा का यश लेना चाहते उन बेईमानो को सच्चा सुख मिलता भी नहीं है। काम तो कोई करे और यश का अवसर आये तो खुद हार पहनाने को खड़े हो गए। क्योंकी हार बदले में गले में पड़े …. अरे हार तो हार ही है भाई! जय राम जी की। अगर ईमानदारी से सच्चाई से सेवा करते तो अहंकार को हरा दे। अगर बेईमानी से तुम फूलाहार चाहते हो तो खुद को ही हरा रहे हो।
पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“
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