पूज्य बापूजी की सेवकों से उम्मीद

द्वेष को, कपट को ,अहंकार को त्यागकर संघठित होकर सेवा करो ऐसा स्वामी विवेकानंद बोला करते थे। समाज को आध्यात्मिकता  की आवश्यकता है।  समाज को स्नेह की आवश्यकता है।  समाज को स्वास्थ्य की आवश्यकता है। समाज को अच्छे संस्कार पोषने की आवश्यकता है और समाज को अच्छे में अच्छे पिया के प्रेम बाँटने वाले सेवकों की आवश्यकता है।  और यही उम्मीद आशाराम अपने साधकों से करेगा। हरि ॐ.....।  राम….

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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