जो सेवा करना चाहता है वो सुखी रहता है

जिनके जीवन में सेवा का सदगुण नहीं।  जिनके पास संपत्ति है , जिनके पास शक्ति है, जिनके पास योग्यता होते हुए भी सेवा नहीं करते वे आलसी है। वे प्रमादी है।  वे सुख के आसक्त है। वे अहंकार भोगी है। वे अहम पोषक है। जिनके पास शक्ति , संपत्ति,योग्यता, मति ,गति है अगर वे लोग उसका सदुपयोग सेवा में नहीं करते तो वे चीज़े उनको संसार के जन्म मरण में बांधती रहती है।

सेवा चाहता वे दुःखी? ….ना ना सेवा चाहने वाला दुखी नहीं होता है सेवा लेनेवाला दुखी रहता है। जो सेवा चाहता है सेवा करना चाहता है वो सुखी होता है लेकिन जो सेवा का लाभ लेना ही चाहता है या बदला चाहता है वो दुखी रहता है। जो सेवा चाहता है, सत्कर्म चाहता है दूसरों की सेवा करना चाहता है वो सुखी रहता है।   चाहे बाहर से उसके पास साधन कम हो फिर भी अंतकरण से वो सुखी रहता है राजा रहता है।

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

No comments:

Post a Comment