सच्ची सेवा तो संत पुरुष ही करते हैं

दुःख को हरते सुख को भरते करते ज्ञान की बात जी।
जग की सेवा लाला नारायण करते दिन रात जी।।
सच्ची सेवा तो संत पुरुष ही करते हैं। सच्चे माता-पिता तो वे संत महात्मा गुरु लोग ही होते हैं। हाड़-मांस के माता-पिता तो तुमको कई बार मिले हैं। तुमने लाखों-लाखों बाप बदले होंगे, लाखों-लाखों माँए बदली होंगी। लाखों-लाखों कण्ठी बाँधनेवाले गुरु बदले होंगे, लेकिन जब कोई सदगुरु मिलते हैं तो तुम्हें ही बदल देते हैं।

-पूज्य बापूजी : आश्रम सत्साहित्य  - ‘साधना में सफलता’

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