निष्काम कर्म की आवश्यकता

समाज को आपके प्रेम की, सान्त्वना की, स्नेह की और निष्काम कर्म की आवश्यकता है। आपके पास करने की शक्ति है तो उसे समाज की आवश्यकतापूर्ति में लगा दो। आपकी आवश्यकता माँ, बाप, गुरू और भगवान पूरी कर देंगे। अन्न, जल और वस्त्र आसानी से मिल जायेंगे। पर टेरीकोटन कपड़ा चाहिए, पफ-पॉवडर चाहिए तो यह रूचि है। रूचि के अनुसार जो चीजें मिलती हैं, वे हमारी हानि करती हैं। आवश्यकतानुसार चीजें हमारी तन्दुरूस्ती की भी रक्षा करती है। जो आदमी ज्यादा बीमार है, उसकी बुद्धि सुमति नहीं है।

पूज्य बापूजी : आश्रम सत्साहित्य  - ‘अनन्य योग’

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