निष्काम कर्म उपासना का पासपोर्ट

निष्काम कर्म उपासना का पासपोर्ट देता है उपासना ज्ञान का पासपोर्ट देती है। फिर भी यदि किसी ने पहले उपासना कर रखी है, बुद्धि बढ़िया है, श्रद्धा गहरी है और समर्थ सदगुरु मिल जाते हैं तो सीधा ज्ञान के मार्ग पर साधक चल पड़ता है। जैसे राजा जनक चल पड़े थे वैसे कोई भी अधिकारी साधक जा सकता है। कोई उपासना से शुरु कर सकता है। प्रायः ऐसा होता है कि सत्कर्म, शुभकर्म करते हुए, सदाचार से चलते हुए साधक आगे बढ़ता है। फिर उपासना में प्रवेश होता है। उपासना परिपक्व होने पर ज्ञान मार्ग में गति होने लगती है।
-पूज्य बापूजी : आश्रम सत्साहित्य  - ‘दैवी संपदा

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