जे को जनम मरण ते डरे।
साध जनां की शरणी पड़े।।
जे को अपना दुःख मिटावे।
साध जनां की सेवा पावे।।
जिसको जन्म-मृत्यु के भय से पल्ला छुड़ाना हो उसे संतों के शरण में जाना चाहिए। जो सचमुच अपने दुःखों को मिटाना चाहे उसे संतों की सेवा प्राप्त कर लेनी चाहिए।
पूज्य बापूजी : आश्रम सत्साहित्य - ‘साधना में सफलता’
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