निष्काम कर्म करके ईश्वर को संतुष्ट करें

जब तक आत्मज्ञान नहीं होता तब तक कर्मों का ऋणानुबंध चुकाना ही पड़ता है। अतः निष्काम कर्म करके ईश्वर को संतुष्ट करें और अपने आत्मा-परमात्मा का अनुभव करके यहीं पर, इसी जन्म में शीघ्र ही मुक्ति को प्राप्त करें।

पूज्य बापूजी : आश्रम सत्साहित्य  - ‘कर्म का अकाट्य सिद्धांत’

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