सेवा करने वाला स्वामी हो जाता है

सेवा लेने वाला गुलाम रहता है और सेवा करने वाला स्वामी हो जाता है | सेवक आये तो स्वामी लाचार होता है कि 'अरे आज फलाना नहीं आया, अरे वो आया नहीं' लेकिन जो सेवा करता है स्वामी आये चाहे आये सेवक तो अपना उनकी पराधीनता महसूस नहीं करता है नौकरानी की याद में सेठानी दुःखी होती है लेकिन सेठानी की याद में नौकरानी दुखी नहीं होती है , नौकरानी तो रुपयों की याद में दुखी हो सकती है, सेठानी की याद में नौकरानी दुखी नहीं होती सेवा लेने वाला भले सेवक को याद करे लेकिन सेवा करने वाले की गाड़ी तो ऐसे ही चल जाती है

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति “

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