हे विद्यार्थी ! तू अपने को अकेला मत समझना... तेरे दिल में दिलबर र दिलबर का ज्ञान दोनों हैं.... ईश्वर की असीम शक्ति तेरे साथ जुड़ी है। परमात्म-चेतना और गुरुतत्त्व-चेतना, इन दोनों का सहयोग लेता हुआ तू विकारों को कुचल डाल, नकारात्मक चिन्तन को हटा दें, सेवा और स्नेह से, शुद्ध प्रेम और पवित्रता से आगे बढ़ता जा.....
पूज्य बापूजी : आश्रम सत्साहित्य - ‘हमारे आदर्श’
No comments:
Post a Comment