जागता नर सेवीए


धनभागी हैं वे लोग जो 'गोरख ! जागता नर सेवीए।' इस उक्ति के अनुसार किसी आत्मवेत्ता संत को खोज लेते हैं! गुरुसेवा व गुरुमंत्र का धन इकट्ठा करते हैं, जिसको सरकार व मौत का बाप भी नहीं छीन सकता। आप भी वही धन पायें।
पूज्य बापूजी : आश्रम सत्साहित्य  - ‘भगवन्नाम जप महिमा’

No comments:

Post a Comment