गुरूसेवा सब भाग्यों की जन्मभूमि

"गुरूसेवा सब भाग्यों की जन्मभूमि है और वह शोकाकुल लोगों को ब्रह्ममय कर देती है | गुरुरूपी सूर्य अविद्यारूपी रात्रि का नाश करता है और ज्ञानाज्ञान रूपी सितारों का लोप करके बुद्धिमानों को आत्मबोध का सुदिन दिखाता है |"
-संत ज्ञानेश्वर महाराज
पूज्य बापूजी : आश्रम सत्साहित्य  - ‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश’


No comments:

Post a Comment