यदि .... तो ....

यदि आपमें अपने परम लक्ष्य को प्राप्त करने का दृढ़ संकल्प है तो प्रगति अवश्य होगी। विनय भाव से सदगुणों का विकास होगा। दूसरों की सेवा करने की सच्ची निःस्वार्थ धुन है तो हृदय अवश्य शुद्ध होगा। दृढ़ विश्वास है तो आत्म-साक्षात्कार अवश्य होगा। यदि सच्चा वैराग्य है तो ज्ञान निःसन्देह होगा। यदि अटूट धैर्य है तो शांति अवश्य मिलेगी। यदि सतत् प्रयत्न है तो विघ्न बाधाएँ अवश्य नष्ट होंगी। यदि सच्चा समर्पण है तो भक्ति अवश्य आ जायेगी। यदि पूर्ण निर्भरता है तो निरन्तर कृपा का अनुभव अवश्य होगा। यदि दृढ़ परमात्म-चिन्तन है तो संसार का चिन्तन अवश्य मिट जायेगा। यदि सदगुरु का दृढ़ आश्रय है तो बोध अवश्य होगा। जहाँ सत्य का बोध होगा वहाँ समता अवश्य दृढ़ होगी। जहाँ पूर्ण प्रेम विकसित होगा वहाँ पूर्णानन्द की स्थिति अवश्य सुलभ होगी।

पूज्य बापूजी : आश्रम सत्साहित्य  - ‘इष्टसिद्धि’

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