सब मिलकर विचार-विमर्श करें

समिति के भाइयों के मन में विचार उठा कि 'सेवा करने के लिए जैसे दो दिये ....दिया अकेला होता है तो दिए के नीचे अँधेरा होता है और दो दिए रख दो आमने सामने तो एक दूसरे का अंधकार मिटा देता है। प्रकाश ही प्रकाश होता है। इसीलिए अपने अपने अकेले ढंग से आदमी बैठता या करता है तो कुछ गलती हो सकती है।  जब समिति बना तो एक दूसरे से भी विचार विमर्श करेगा तो गलतियाँ, अँधेरा हटता जायेगा। और फिर वो समितियां तो बनीं...जिन्होंने बनायीं धन्यवाद ....लेकिन ये समिति सब मिलकर अगर विचार-विमर्श करे तो और योग्यताएं और क्षमताएं, गुण बढ़ेंगे। और कमियाँ निकलेंगी।  और जितना जितना अपनी कमियाँ निकलेंगी उतना उतना समाज की कमियाँ निकालने में हम लोग सफल हो जायेंगे।

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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