राशनकार्ड सेवा

 दूसरी बात भी ये कहनी थी की जहाँ जहाँ समिति के भाई है वहाँ वहाँ जो सफ़ेद पोशाख वाले है, गरीबों को, आदिवासियों को तो देते है,सेवा करते है वो ठीक है लेकिन कुछ ऐसे जो आदिवासियों से भी आदिवासी है।  ऐसे लोग भी है।  कपडे तो अच्छे है लेकिन आदिवासियों से भी ज्यादा उनकी स्थिति दयाजनक है। पच्चीस रूपया दिन में कमाएंगे और छः आदमी होते घर में, पांच आदमी होते, बूढ़ी माँ होती है, छोरे को पच्चीस रुपये मिलते है। तो ऐसे लोगों को भी अगर तुम्हारे नजर में हो तो लिस्ट बनाकर, छोटा मोटा राशन कार्ड बना कर उनको भी थोड़ी बहुत मदद दे सको तो देना। और कुछ तुम दो थोड़ा यहाँ से अहमदाबाद  समिति से। अहमदाबाद समिति नहीं तो फिर अपना गुरु समिति से, मिल-जुल कर सेवा कर लें।


नारायण हरि  नारायण हरि


अहमदाबाद समिति की भी कोई लिमिट है तो थोड़ा वह समिति ये समिति।  सत्कर्म होते रहे।


लेके तो हमारा बाप नहीं गया रोटी तो उसके बाप को देनी है फिर

संग्रह आदि अच्छा नहीं ये मोक्ष पथ में आड़ है।

कैसे भला तू भाग सके। सिर पे लदा जो भार है।


पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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