सत्य स्वरुप ईश्वर के सुख सामर्थ्य को पाओ

वो पहले समय था कि कम समितियों में कभी किसका देखते है , अभी देखने का भी टाइम नहीं रहता।  सच्ची बात है। और ये एक एक का बैठके ध्यान लगाए ये अब मेरे बस का नहीं। इसीलिए भी ये जो तुम्हारा आयोजन हुआ अच्छा है ताकि मेरी बात सब तक पहुँच जाएगी और सब सावधान रहना।

खजांची बनकर अगर चुराएगा तो लाख- दो लाख – पांच लाख चुराएगा लेकिन ये भी मुश्किल है कि पांच लाख समिति का  खजांजी  बनकर चुरा ले। देर सबेर तो बात आ ही जाती है महाराज! उसका पोल खुल ही जाता है। और कोई नहीं खोले तो उसका अंतरात्मा तो उसको डंखता है कि किसीको पता न चलें। चेहरे पर गड़बड़ हो जाती है। लेकिन तुम्हारे जीवन में पांच लाख क्या होता है? पच्चीस लाख क्या होता है ? तुम तो सत्कर्म करके सत्य स्वरुप ईश्वर के सुख सामर्थ्य को पाओ ऐसा तुम्हारे को मिल रहा है।

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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