नम्रता और निष्कामता


निष्कामता आएगी तो नम्रता भी आएगी और नम्रता आएगी तो जैसे सागर में बिन-बुलाये नदियां चली जाती है ऐसे यश,धन,ऐश्वर्य,प्रसन्नता ,ख़ुशी ये सब सदगुण आपने आप आ जायेंगे। गंगा-यमुना जैसे सागर में बिना बुलाए भागती जाती है ऐसे ही सदगुण बिना बुलाए आ जायेंगे। नम्रता और निष्कामता से।  और जहाँ नम्रता और निष्कामता में अहंकार फाँका आया तो फटकार और विफलता बिन बुलाए आएगी।

जीवन जीने का ढंग , हम main.. basic बात भूल जाते है इसीलिए विश्व भर में अशांति.. दुःख..।  और फिर दूसरों को दबोच के दुनिया की चीज़े इक्कठी करते मूर्ख लोग सुखी होना चाहते। उनसे भी सुख नहीं तो बिचारे वाइन पी कर सुखी होना चाहते। उससे भी सुख नहीं लेडी बदल के सुखी होना चाहते।उससे भी सुख नहीं हवा बदलके सुखी होना चाहते। उससे भी सुख नहीं हवा बदल, लेडी बदल, लेडे बदल जब तक तू समझ नहीं बदलेगा तो बदल बदल के चौरासी लाख जन्म बदलता रहेगा।चौरासी लाख जन्म बदलता रहेगा।  चौरासी लाख शरीर बदलता रहेगा। कभी न छूटे पिंड दुखों से जिसे निष्कामता का ज्ञान नहीं , जिसे ब्रह्म का ज्ञान नहीं। ज्यों ज्यों चित्त  निष्काम कर्म करेगा त्यों त्यों उसकी क्षमताएँ बढ़ेंगी। कामना से आपकी क्षमता और योग्यताएं कुंठित हो जाती हैं।
पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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