दूसरा कोई उपाय नहीं

मूर्ख लोग समझते है की जरा सा काम करे तो 'ओहो! हम पद अधिकारी बन जाये ' हमारा नाम अख़बारों में आ जाये। हमें सब मिल जाये। "ऐरन की चोरी करे सुई का करे दान। झाकता रहे आकाश में कब आवे विमान।" ऐसे निष्काम कर्म करने वाले को लोग राजनेता बोलते। जय राम जी की।किसी को आज के ज़माने में बड़ी गाली देनी हो तो  बोल दो आ तो राजकारणी छे । बस पति गयो। अरे ये तो राजकारणी है, बस हो गया । जय श्री कृष्ण।

अर्थात निष्काम की जगह पर कामना आ गयी तो उनके नाम पर भी बट्टा लग गया।  राजनीति कोई बुरी नहीं , वो नीतियों की राजा है लेकिन वो निष्कामता की जगह कामना आ गयी तो क्रोध भी आएगा ,द्वेष भी आएगा, ईर्ष्या भी आएगा,कपट भी आएगा, बईमानी भी आएगी ,अंदर न जाने क्या क्या होता है। दुर्गुणों को निकालने के लिए सदगुण चाहिए और सद्गुण ईश्वर की प्रीति अर्थ कर्म करने से ही आयेंगे दूसरा कोई उपाय नहीं है।

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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