अस्पताल सेवा

समितियों के ये भी एक सेवा का अवसर मिल सकता है कि महीने में एक दिन ऐसा रखें कि जहाँ रहते है उस इलाके कि अस्पताल है तो  मरीजों का दर्शन करने चले जाएँ। दो दो फल,पांच पांच फल , चार - चार फल और कोई निर्भीकता जैसे 'जीवन रसायन' पुस्तक दे उनको। ये कार्य भी समितियां कर सकती है। जो दर्दी हैं बीमार लोग हैं उनसे भी महीने में एक बार, दो महीने में एक बार, तीन महीने में एक बार, १५ दिन में..... जैसे आप लोगों की सुविधा।  घूमना भी हो गया थोड़ा और मरीजों को देख कर कहो कि शरीर की ये हालत! अपना वैराग्य भी बढ़ेगा।

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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