सच्ची सिक सां सदा सेवा कन

सिंधी संत हो गए। स्वामी साब उनका नाम था। उन्होंने जो श्लोक बनाये उस ग्रन्थ का नाम है ' स्वामी जा श्लोक ' स्वामी के श्लोक....ग्रन्थ का नाम है।  उन्होंने लिखा है  उस ग्रन्थ में

सेवा सच्ची माँ जिन लधो। लधो लाल अण मुलो
 से स्वामी सच्ची सिक सां सदा सेवा कन।  
लत्तां मुक्का मोचड़ा सदा सिर सहन 
रता रंग रहन अट्ठई पहर अजीब जे । 

सच्ची सेवा से जिन्होंने पाया वो लाल ... अनमोल लाल पाया, आत्मा लाल पाया,  आत्मसुख पाया , आत्मसंतोष पाया।  वे तो सदा सच्चाई से सेवा करते है और सेवा के बदले में कभी किसी की गुरु की या माता-पिता की लात सह लेते हैं,  तो कभी कोई खट्टी बात भी सह लेते है |  फिर भी हँसते हँसते सेवा करते रहते है  - जिन्होंने सेवा का मूल्य जाना है। जो सेवा के द्वारा कुछ चाहता है वो तो सेवा के नाम को कलंकित करता है और जो सेवक होकर सुख चाहता है वो भी सेवा के महत्त्व को नहीं जानता ।  

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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