सेवा लेने वाले की भी कृपा है

विवेकानंद बोलते थे कि तुम सेवा करते तो ये न सोचो की ये तो दीन-हीन है,मैं नहीं होता तो इन  बेचारों का क्या होता? नहीं नहीं, यह तो ईश्वर की कृपा है और सेवा लेने वाले की भी कृपा है कि हमें अवसर दे रहा है ऐसा मानो।  ईश्वर ने हमें क्षमताएं दी उसकी कृपा है और ईश्वर ने हमें सेवा करने की क्षमताएं दी वो उसकी ईश्वर की कृपा है।  और कोई हमारी सचमुच में सेवा ले रहा है सत मार्ग पे  तो उसको भी धन्यवाद है। नहीं तो गाड़ी में लोग नहीं बैठे तो गाड़ी किस काम की ? सड़क पर लोग नहीं चले तो सड़क किस काम की? ऐसे ही हमारी वस्तुओ का और योग्यता का लोगों के लिए उपयोग न होवे तो वस्तु और योग्यताएं किस काम की ? अपनी वासनाओं को  बढ़ाने  के लिए वस्तु और वासनाएं का उपयोग होता है तो हम बर्बाद हो गए।  अपना अहंकार बढ़ाने में वस्तु और योग्यताओं का उपयोग होता है तो हमतो बर्बाद हो गए।  हमें तो आत्मिक आबादी चाहिए।

पूज्य बापूजी - ऑडियो सत्संग - “सेवा ही भक्ति“

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